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शराब और सन्यासी

LAKSHYA
LAKSHYA
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सम्पर्क हुआ एक सन्यासी से
ईश्वरीय सत्ता के अटल प्रत्यासी से
गले में रुद्राक्ष की माला
एक हाथ   में लिए कमण्डल
एक में मद्य का प्याला
हमने कहा स्वामी जी क्या बात है
कमण्डल और मदिरा का क्या साथ है
वह बोले बेटे तेरा यह प्रश्न बड़ा नही है
क्या तूने रेल, बस,दीवारों पर लिखा पढ़ा नहीं है
कि शराब बिष से भी भयंकर होती है
मीरा ने कृष्ण के लिये बिष पिया था
अपनी अटूट भक्ति का प्रमाण दिया था
इसी लिए मैं बिष से भी भयंकर
शराब को पीता हूँ
ईश्वरीय भक्ति मैं न मरता हूँ न जीता हूँ

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