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नेता का पजामा

LAKSHYA
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चुनाव के दौरान में

भाषण के अभियान में
एक विशाल मंच पर नेता जी पधारे
जैसे तैसे खड़े हुए चमचों के सहारे
विचार व्यक्त करने लगे अनेकों प्रकार से
चारों और सुख शांति है हमारी सरकार से

कार्यकर्ताओं ने बजायी जोरदार तालियाँ
विपक्षी सभी देने लगे गालियाँ

नेताजी दे रहे थे आश्वासन हवाई
चमचों ने मिलकर माला पहनाई
नेताजी के भाषण में और रस घुल गया
गांठ लगी थी ढीली पजामा था खुल गया
यह देख जनता जोर जोर हंसने लगी
तालियाँ बजाकर नेताजी को कसने लगे
यह देख नेताजी के कांप उठे पैर
ईश्वर मेरी रक्षा करना खुदा मनाये ख़ैर
तुरंत संभले संभल कर बोले
माईक को पास किया होले होले
बोले भाइयो बहनों माताओं
किसने इस देश की स्थिति को देखा है बताओ
मुझे देख कर तुम्हें हंसी आ रही है
गरीबी देश में धंसी जा रही है
हम इस देश को खुशहाल बना देगें
गरीबी नहीं मिटी तो गरीबों को मिटा देगें
हमारा देश ठीक इसी तरह नंगा है
पाप अत्याचार की वह रही गंगा है
यदि देश की सिथति को बचाना है
तो मेरे साथ सभी को कशम खाना है
मैं अपना पजामा उठाता हूँ आप हाथ उठाइए
मैं लगाता  हूँ गांठ आप सौंगंध खाइए
देश की एकता को जाने नहीं देंगे
रिश्वत का पैसा अकेले खाने नही देगें

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