LAKSHYA
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अपनों से अपनों के लिए सत्याग्रह आन्दोलन
शर्म शर्म शर्म शर्म शर्म नाक है
देश के सपूतों का भ्रष्टाचार उन्मूलन
शर्म शर्म शर्म शर्म शर्म नाक है
देश का प्रधान कठपुतली बना नाच रहा
शर्म शर्म शर्म शर्म शर्म नाक है
माली ही बगिया की हरियाली छाँट रहा
शर्म शर्म शर्म शर्म शर्म नाक है
नेता हैं भ्रष्ट और अफसर दलाल हुए
शर्म शर्म शर्म शर्म शर्म नाक है
देश है आजाद और जनता बदहाल हुई
शर्म शर्म शर्म शर्म शर्म नाक है
धनिकों की चक्की में पिस रहा गरीब है
शर्म शर्म शर्म शर्म शर्म नाक है
देश का अकूत धन विदेशों की बैंकों में
शर्म शर्म शर्म शर्म शर्म नाक है
जनता की समस्या हेतु संतों को भी आना पड़ा
शर्म शर्म शर्म शर्म शर्म नाक है
देश के मशीहा को मुह की है खाना पड़ा
शर्म शर्म शर्म शर्म शर्म नाक है
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