LAKSHYA
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लक्ष्य यदि हो सामने तो दूरियां किस बात की |
हो अडिग विश्वाश तो मजबूरियां किस बात की ||
हार कर के बैठ जाना सोच ही बेकार है |
संकटों से जो लड़ा है बो सफल किरदार है ||
सूर्य बनकर गर चमक न पाओ तो,
चन्द्रमा बनने की मत कोशिश करो |
हो सके तो दीप बनकर के जलो,
और अपने निकट के तम को हरो ||
दीन दुखियों का बनो घर का सहारा,
और उनको आस दो विश्वाश दो |
जिन्दगी में जो भटकते घूमते,
उनको जीवन का नया प्रकाश दो ||
बेसहारों का सहारा बन सको तो,
इस जहाँ में कोई न भूखों मरेगा |
एक भी घर को प्रकाशित कर सके तो ,
सूर्य तुमको खुद नमन आकर करेगा ||
उमाशंकर “राही” बदायूं
09412501633
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