LAKSHYA
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इस नए वर्ष में कुछ नया काम हो |
देश दंगों को यों ही न बदनाम हो ||ߐ
लहलहाती फसल चहचहाते हो वन |
हो उमंगों से पूरित किसानों का मन ||
प्रीति वैभव भरा यह धरा धाम हो |
इस नए वर्ष में कुछ नया काम हो ||
राजनीति अनैतिक ये पथ छोड़ दे |
आपसी द्वेषभावों का व्रत तोड़ दे ||
रोटियों को न बेटी यों नीलाम हो |
इस नए वर्ष में कुछ नया काम हो ||
अब न दंगों का दंगल लगे देश में |
आपसी भाई चारा पगे देश में ||
चाहे आदाब हो चाहे जय राम हो |
इस नए वर्ष में कुछ नया काम हो ||
ईद होली दिवाली का रंग एक हो |
हर पुजारी-नवाजी का ढंग एक हो ||
फाश पर्दा सभी का सरेआम हो |
इस नए वर्ष में कुछ नया काम हो ||
शक्तिशाली बने यह हमारा वतन |
चाहे करना पड़े अब कोई भी जतन ||
दुश्मनों की हरेक चाल नाकाम हो |
इस नए वर्ष में कुछ नया काम हो ||
डॉ उमाशंकर राही
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